मूर्ति पूजा का रहस्य क्या है ? क्या यह श्रद्धा है या अंधश्रद्धा ? एक बार एक व्यक्ति ने स्वामी विवेकानंद को पूछा कि " स्वामीजी ! हकीकत में मैं मिट्टी , लकड़ी , पत्थर , धातु से बनी हुई मूर्तियों के प्रति अन्य लोगों की तरह विश्वास नहीं कर सकता I क्या इसके लिए परलोक में मुझे कठोर दंड मिलेगा ? क्या मूर्ति में ईश्वर होते है या यह अंधविश्वास है ? " तब विवेकानंद ने एक युक्ती के तहत उस व्यक्ति को अपना एक तस्वीर लाकर, उसपर थूकने के लिए कहा l विवेकानंद के इस कथन से वो व्यक्ति चकित हो गया I वो मन ही मन सोचने लगा कि भला अपने ही तस्वीर पर कोई कैसे थूक सकता है ? स्वामीजी ये क्या करने के लिए कह रहे है ? जब उस व्यक्ति से नहीं हो पाया तो उन्होंने उस व्यक्ति के परिजनों से उसपर थूकने के लिए कहा l इससे समस्त परिजन अचंभे में पड़ गए और उन्हें विवेकानंद कोई मूर्ख प्रतीत होने लगे, क्योंकि विवेकानंद के कथन को समझ पाना उनके लिए असंभव था I तब विवेकानंद ने तनिक ऊँचे स्वर में कहा " अरे भाई ! यह एक काग़ज़ का तस्वीर मात्र ही तो है I असली व्यक्ति तो आपके समक्ष है, तो थूकने मे...