एकदंत ( हिन्दी ) गणेश खंड में गणेश जी के एकदंत होने की एक रोचक कथा है। एक बार देवी पार्वती और भगवान शिव अपने अंतर्गृह ( गुफा ) में शयन कर रहे थे और द्वार पर गणेश जी पहरा दे रहे थे। उस समय कार्त्तवीर्य का वध करके परशुराम जी उत्साहित होकर कैलाश पर पहुंचे और तत्काल अपने इष्ट शिव जी से मिलने की इच्छा प्रकट की। लेकिन गणेश जी ने परशुराम जी को शिव जी के कक्ष मे जाने से रोक दिया। गणेश जी के रोकने पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे और उन्होंने गणेश जी को युद्ध कीचुनौती दी। युद्ध में गणेश जी से पराजित होने पर परशुराम जी ने शिव जी द्वारा दिए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया। शिव अस्त्र होने के फलस्वरुप गणेश जी ने उसका आदरपूर्वक सामना किया और इसी के दौरान उनका बायां दांत कट गया और वह 'एकदंत' कहलाने लगे। सन्दर्भ : - गणपति खंड ( ब्रह्मवैवर्त पुराणात ) एकदंत ( मराठी ) गणेश खंडात सांगितलं गेलं आहे की, एकदा परशुराम शंकराची भेट घेण्यासाठी कैलास पर्वतावर जातात. त्यावेळी शंकर आणि पार्वती ( गुहेत ) अंतर्गृहात असतात. तेव्हा परशुरामाला अंतर्गृहात येण्यास गणपती मज्जाव करतो...