भारतीय मूर्तिकला मूर्तिकला ( शिल्पकला ) कला का वह रूप है जो त्रिविमीय (Three Dimensional) होती है। यह कठोर पदार्थ (जैसे पत्थर), मृदु पदार्थ एवं प्रकाश आदि से बनाये जा सकते हैं। मूर्तिकला एक अतिप्राचीन कला है। भारत के वास्तुशिल्प, मूर्तिकला, कला और शिल्प की जड़े भारतीय सभ्यता के इतिहास में बहुत दूर गहरी प्रतीत होती हैं। भारतीय मूर्तिकला आरम्भ से ही यथार्थ रूप लिए हुए है जिसमें मानव आकृतियों में प्राय: पतली कमर, लचीले अंगों और एक तरूण और संवेदनापूर्ण रूप को चित्रित किया जाता है। भारतीय मूर्तियों में पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं से लेकर असंख्य देवी देवताओं को चित्रित किया गया है। पाषाण काल में भी मनुष्य अपने पाषाण उपकरणों को कुशलतापूर्वक काट-छाँटकर या दबाव तकनीक द्वारा आकार देता था, परंतु भारत में मूर्तिकला अपने वास्तविक रूप में हड़प्पा सभ्यता के दौरान ही अस्तित्व में आई । भारत की सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ों के बड़े-बड़े जल कुण्ड प्राचीन मूर्तिकला का एक श्रेष्ठ उदाहरण हैं। दक्षिण के मंदिरों जैसे कि कांचीपुरम, मदुरै, श्रीरंगम और रामेश्वरम तथा उत्तर में वाराणसी के म...