Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Bihar

लिट्टी चोखा / Litti Chokha

कहते है ना की - "बिहार आके लिट्टी चोखा ना खैलं, त का खैलं हो !" लिट्टी चोखा को बिहार का सुप्रसिद्ध व्यंजन माना जाता है। बिहारी पहचान वाले इस व्यंजन को लोग चाव से खाते हैं। आज लिट्टी चोखा के स्टॉल हर शहर में दिख जाते हैं। लिट्टी चोखा खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है, ये सेहत के लिए भी फायेदमंद है। बिहार के साथ साथ उत्तर प्रदेश, झारखंड में भी लिट्टी चोखा अत्यंत प्रचलित है I गेहूं के आटे में सत्तू को भरकर इसे आग पर पकाया जाता है । फिर देसी घी में डुबोकर इसे खाया जाता है। जिन्हें कैलोरी की फिक्र है, वो बिना घी में डुबोये लिट्टी का स्वाद ले सकते हैं। तला-भुना नहीं होने की वजह से ये सेहत के लिए अच्छा है। इसे ज्यादातर बैंगन के चोखे के साथ खाया जाता है। बैंगन को आग में पकाकर उसमें टमाटर, मिर्च और मसाले को डालकर चोखा तैयार किया जाता है। बिहार में ये खासा लोकप्रिय है। इसे बनाना भी आसान है और ये पौष्टिक भी है। लिट्टी-चोखा का इतिहास मगध काल से जुड़ा है। कहा जाता है कि मगध साम्राज्य के दौरान लिट्टी चोखा प्रचलन में आया। बाद में ये मगध साम्राज्य से देश के दूसरे हिस्सों में भी...

बरम बाबा ( बरम देव बाबा ) / Baram Baba ( Baram Dev Baba )

बरम बाबा (  बरम देव बाबा ) गांव में कुल देवता के साथ ही बरम बाबा की भी बहुत मान्‍यता है। लड़के की शादी होने पर उसका मौर ( सिर पर बांधा जाने वाला मुकुटनुमा साज ) गांव के डीह बाबा और बरम बाबा को अर्पित करने की प्रथा है। ऐसा मानना है की किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करने से पहले, बरम बाबा का आशीर्वाद लेना अनिवार्य होता है । सामान्यतः, बरम बाबा का स्‍थान हर गांव में होता है। मुख्यतः, जो ब्राह्मण किसी कारण वश अपनी जान दे देते है, वह बरम हो जाता है। बरम ब्रह्म का देशज रूप है। पूरब में बरम बाबा स्थापित करने की परंपरा बहुत ही पुरानी है। लोगों का इनपर विश्‍वास भी अटल है I जिस भी बरम बाबा की कहानी आप सुनेंगे, उसमें उत्‍पीड़न से जान देने अथवा अकाल मृत्यु हो जाने की कहानी ही सामने आएगी। सभी बरम बाबा के बारे में यह मान्‍यता है कि वह उन्हीं लोगों को परेशान करते है, जिन्होंने उन्हें प्रताड़ित किया होता है। कई परिवार तो इन्हीं बरम बाबा के कारण समूल नष्‍ट हो जाते। लेकिन अन्‍य लोगों की यह रक्षा और मदद भी करते हैं। जो भी इनकी पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूरी हेाती है। बिहार, उत्तर-प्रदेश और...

माँ मुंडेश्वरी मंदिर , कैमूर / Maa Mundeshwari Temple , Kaimur

माँ मुंडेश्वरी मंदिर , कैमूर यह मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर गाँव में कैमूर पर्वतश्रेणी की पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर स्थित है। देवी के इस मंदिर को भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। वर्ष 1812 ई0 से लेकर 1904 ई0 के बीच ब्रिटिश यात्री आर. एन. मार्टिन , फ्रांसिस बुकानन और ब्लाक जैसे विदेशियों ने इस मंदिर का भ्रमण भी किया था I पुरातत्वविदों के अनुसार यहाँ से प्राप्त शिलालेख 389 ई0 के बीच का है , जो इसकी पुरानता को दर्शाता है I इस प्राप्त शिलालेख के अनुसार यह माना जाता है कि उदय सेन नामक क्षत्रप के शासन काल में इसका निर्माण हुआ होगा। मंदिर के नक्काशी और मूर्तियाँ उतरगुप्तकालीन है I यह पत्थर से बना हुआ अष्टकोणीय मंदिर है I इस मंदिर के पूर्वी खंड में देवी मुण्डेश्वरी की पत्थर से बनी भव्य व प्राचीन मूर्ति आकर्षण का मुख्य केंद्र है I माँ वाराही रूप में विराजमान है, जिनका वाहन महिष है I मंदिर में प्रवेश के चार द्वार हैं , जिसमे एक को बंद कर दिया गया है और एक अर्ध्द्वर है I इस मंदिर के मध्य भाग में पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है I जिस पत्थर से यह पंचमुखी श...