बरम बाबा ( बरम देव बाबा )
गांव में कुल देवता के साथ ही बरम बाबा की भी बहुत मान्यता है। लड़के की शादी होने पर उसका मौर ( सिर पर बांधा जाने वाला मुकुटनुमा साज ) गांव के डीह बाबा और बरम बाबा को अर्पित करने की प्रथा है। ऐसा मानना है की किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करने से पहले, बरम बाबा का आशीर्वाद लेना अनिवार्य होता है । सामान्यतः, बरम बाबा का स्थान हर गांव में होता है। मुख्यतः, जो ब्राह्मण किसी कारण वश अपनी जान दे देते है, वह बरम हो जाता है। बरम ब्रह्म का देशज रूप है।
पूरब में बरम बाबा स्थापित करने की परंपरा बहुत ही पुरानी है। लोगों का इनपर विश्वास भी अटल है I जिस भी बरम बाबा की कहानी आप सुनेंगे, उसमें उत्पीड़न से जान देने अथवा अकाल मृत्यु हो जाने की कहानी ही सामने आएगी। सभी बरम बाबा के बारे में यह मान्यता है कि वह उन्हीं लोगों को परेशान करते है, जिन्होंने उन्हें प्रताड़ित किया होता है। कई परिवार तो इन्हीं बरम बाबा के कारण समूल नष्ट हो जाते। लेकिन अन्य लोगों की यह रक्षा और मदद भी करते हैं। जो भी इनकी पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूरी हेाती है। बिहार, उत्तर-प्रदेश और झारखंड राज्य में ऐसे बरम बाबा की मूर्तियां देखने को मिलती है I
हमारे गांव के आसपास भी बरम बाबा की कई मूर्तियाँ स्थापित हैं। उनके नाम तो मुझे याद नहीं, लेकिन बुजुर्ग बताते हैं कि गाँव में कभी कभी किसी व्यक्ति के भीतर बरम बाबा का वास होता है I उसे हमारे यहां बरम लगना कहते है I बरम बाबा का आकार शंकू की तरह होता है I दिखने में लगभग शिव लिंग की तरह होता है I दो-तीन फीट की ऊंचाई वाले चबूतरे पर इनकी स्थापना की जाती है I मुख्य तौर पर गाँव के बाहर, खेतों में इनको स्थान दिया जाता है I इसी के आस पास बास की लकड़ी को खडा कर उसपर लाल रंग का झेंडा लगाया जाता है I इनका स्थान देव तुल्य होता है I
जिस प्रकार हर देवी-देवताओं का पूजन करने का विधि होता है। उसी प्रकार बरम बाबा की भी लोग अलग अलग प्रकार से पूजा करते है I दीप की आरती करना, अगरबती दिखाना, भोग लगाना और उन्हें वस्त्र चढ़ाना - यह बरम की पूजा विधि में से एक मुख्य विधि है I लोग गीत गाकर इन्हें प्रश्न करते है I
" बरम बाबा - एक रहस्य " नामक एक पुस्तक भी है, जिसके लेखक नीरज पांडेय है I
उपयुक्त बरम बाबा, यह मेरे गाँव में है I
गाँव - मोहन डडवा, जिल्हा : कैमूर ( भभुआ ), बिहार
Comments
Post a Comment