धमेख स्तूप
इस स्तूप के उत्खनन से प्राप्त सन् १०२६ ई० के अभिलेख के अनुसार इस स्तूप का प्राचीन नाम धर्म-चक्र स्तूप था। यह सम्भवतः उस स्थान विशेष का द्योतक है जहाँ भगवान बुद्ध ने प्रथम धर्मोपदेश दिया था। इसके शिखर के मध्य में अलेक्जेण्डर कनिंघम ने धातु मन्जूषा की खोज में लम्बवत् उत्खनन किया था, जिसमें उन्हें शिखर से लगभग ३.२० मी० नीचे एक अभिलेख युक्त पट्ट प्राप्त हुआ था, जिस पर छठीं-सातवीं शती ई० के ब्राह्मी लिपि में बौद्ध मंत्र - "ये धम्म हेतु प्रभवा..." लिखा था। इसके भीतरी भाग में काफी नीचे ईंट निर्मित मौर्य कालीन स्तूप के अवशेष भी प्राप्त हुए। स्तूप का वर्तमान स्वरूप गुप्त कालीन स्थापत्य का उत्कृष्ट नमूना है। इस बेलनाकार ठोस स्तूप के आधार का व्यास २८.५ मी० तथा ऊँचाई लगभग ३३.३५ मी० है। भूमिगत भाग सहित कुल ऊँचाई ३९.०५ मी० है। भूमि की सतह से १३.११ मी० की ऊँचाई तक यह अलंकृत प्रस्तरों से आच्छादित है तथा शेष भाग ईंटों के बेलनाकार पुंज के रूप में है। आधार से लगभग ७.५ मी० की ऊँचाई पर आठ दिशाओं में आठ आले बने है, जिसमें सम्भवतः बुद्ध प्रतिमाएं रखी गई होगी। इसके नीचे सुरूचिपूर्ण ढंग से तराशी गयी चौड़ी प्रस्तर पट्टिकाओं पर ज्यामितिय स्वास्तिक, पत्र-वल्लरी, पुष्प-लता, मानव एवं पक्षी आदि के सुन्दर अलंकरण उत्कीर्ण है।
स्त्रोत : भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण
पुस्तक : सारनाथ - पुरातत्त्व, कला एवं स्थापत्य
According to an inscription dated 1026 A.D. Recovered from the site, its old name was dharma chakra stupa. It is perhaps commemorating the spot where lord buddha preached: his first sermon. In search of the relic casket alexander cunningham bored a vertical shaft through its center down to the foundation level and at a depth of 3.20 meters, he found a slab with the inscription of buddhist creed "ye dhamma hetu prabhava..." written in the brahmi script of 6th 7th century A.D. Further below, he traced out a stupa made of mauryan bricks. However, the present diameter of this solid cylindrical tower is 28.5 meters at the base and 33.35 meters in height. Its total height is 39.05 meters including the foundation. The structure consists of a circular stone drum upto the height of 13.11 meters from the ground above which rises the cylindrical mass of brick work about 7.5 meters above the base. Eight niches are provided in eight directions which must have contained images of buddha. Below them runs a broad course of beautifully carved stones having geometric designs of swastika, leaf and floral patterns combined with birds and human figures.
Source : Archeological Survey Of India
Book : Sarnath - Archeology, Art & Architecture
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