श्री ॐकारेश्वर (ओंमकारेश्वर) मंदिर
ॐकारेश्वर मंदिर पुणे के शनिवार पेठ में मुठा नदी के तट पर बसा हुआ है। इस मंदिर की गणना शहर के कुछ प्राचीन मंदिरों में होती है। इस मंदिर का निर्माण १७३० से १७४० के बीच पेशवाओं के आध्यात्मिक गुरु शिवराम भट द्वारा किया गया था। यह मंदिर पेशवा साम्राज्य के वैभव का प्रतीक भी रह चुका है। मराठा साम्राज्य के सेनापती अर्थात बाजीराव पेशवा के भाई चिमाजी अप्पा ने मंदिर निर्माण हेतु दान किया था I मंदिर के भीतर स्वर्गीय चिमाजी अप्पा की समाधि भी है , जहाँ वह पहले नियमित रूप से जाते और निवास किया करते थे I
श्री ॐकारेश्वर मंदिर को १८ वीं शताब्दी की कला और वास्तुनिर्माण का एक आदर्श नमूना माना जाता है। मंदिर के गर्भागृह में शिव लिंग विराजमान है , जो शिव-पार्वती के मिलन का प्रतिनिधित्व करता है I मंदिर के सफेद गुंबद का निर्माण मुलायम साबुन के पत्थर से किया गया है। इसी मंदिर के भीतर गणेश , दत्तगुरु, मकरध्वज और व्यास जैसे देवताओं के उत्कीर्णन के साथ नागों की शैली ( शिखर ) भी है। मंदिर के परिसर में माँ दुर्गा , विष्णु देव, शनि देव और हनुमानजी की मूर्तियाँ भी विराजमान है I मंदिर की बाहरी दीवारें काले पत्थर से बनाई गई हैं।
ऐसा कहा जाता है की १९६१ - १९६२ के दौरान आए (पानशेत) बाढ़ में भी यह मंदिर सुदृढ़तापूर्वक अपनी नीव पर खड़ा था I हालाकि पानी के तीव्र के कारण नंदीजी की मूर्ति अपने मूल स्थान प्रस्थापित हो गया था। लेकिन बाद में स्थानीय लोगों के बड़े प्रयासों से उन्हें पुन्ह: उनके मूल स्थान पर स्थापित किया गया I इससे मंदिर की कार्यशैली और नीव कितनी मजबूत है, इस बात का पता चलता है ।
ऐसा भी कहा जाता है कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई क्रांतिकारी , जैसे बाल गंगाधर तिलक और वीर सावरकर "तालिम" नामक स्थान पर ॐकारेश्वर मंदिर के निकट के एकत्रित होते थे।
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